देवरिया से अखिलेश प्रताप कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी-election
लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार देर शाम कांग्रेस ने यूपी की नौ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए
Election/देवरिया।कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल – की ओर से जारी सूची में देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह, बांसगांव से सदल प्रसाद, सहारनपुर से इमरान मसूद, अमरोहा से दानिश अली, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार, झांसी से प्रदीप जैन और कानपुर से आलोक मिश्रा को उम्मीदवार घोषित किया गया है। वाराणसी से प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और बाराबंकी से तनुज पुनिया पर फिर दांव लगाया गया है। अमेठी व रायबरेली सहित आठ सीटों पर पत्ते नहीं खोले गए हैं।
वैसे तो विकास पुरुष के नाम से विख्यात कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह का देवरिया लोकसभा सीट के लिए टिकट तो शुरू से ही तय था,केवल औपचारिकता बाकी थी।
देवरिया सदर लोकसभा सीट कांग्रेस को मिलने से सपा कार्यकर्ता पहले थे मायूस,पर अब देंगे साथ
देवरिया। सपा- कांग्रेस के गठबंधन ने सदर लोकसभा सीट कांग्रेस के पाले में डाल दी,जिससे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता काफी मायूस हो गए,और इनकी नाराजगी इसी से पता चल रहा है को सपा के लोकसभा सीट की दावेदारी ठोक रहे राधेश्याम सिंह अखिलेश यादव के फैसले के विरोध कर दिया था, सपा कार्यकर्ता जहां इस फैसले से नाराज थे वहीं अब ये आशंका भी होने लगी है की पिछले चुनाव की तरह कहीं सपा कार्यकर्ताओं पर गठबंधन प्रत्याशी के तरफ प्रचार और चुनाव में सहयोग न करने का तोहमत लग सकता है।
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सपा के तरफ से तीन तीन नेता पूरी दमखम से अपनी तैयारी में लगे थे
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में सपा बसपा गठबंधन को मिली थी देवरिया की सीट।
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में सपा बसपा गठबंधन में बसपा को मिली थी देवरिया की सीट। सपा बसपा गठबंधन ने उद्योगपति विनोद जायसवाल को टिकट दिया तो भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉक्टर रमापति राम त्रिपाठी को,कांग्रेस से नियाज अहमद को टिकट दिया। हालांकि चुनाव में भाजपा उम्मीदवार डॉक्टर रमापति राम त्रिपाठी विजयी हुए थे। सपा बसपा गठबंधन दूसरे नंबर पर थी,और कांग्रेस के तीसरे नंबर पर थी। इस चुनाव सपा कार्यकर्ताओं पर गठबंधन में रहते हुए भी चनाव में सहयोग नहीं करने का आरोप लगा था। जिसके चलते चुनाव खत्म होते ही सपा बसपा गठबंधन भी ख़त्म हो गया था।
देश की आजादी से लेकर 1990 तक सदर लोकसभा सीट पर कांग्रेसियों और सोशलिस्टों वर्चस्व रहा। सन 1990 के बाद कांग्रेस के हाथ से पकड़ छूट गई। बसपा के पाले में एक बार देवरिया सदर की सीट जा चुकी है। साल 2014 में आए मोदी लहर ने यहां की सीट भाजपा के पाले में डाल दिया,तबसे से ही यहां भाजपा जीत रही है,हालांकि सदर लोकसभा सीट पर टिकट के लिए भाजपा देवरिया में नेताओं के बीच खींचतान भी हुई थी,जिसके वजह से हाईकमान ने जिले के बाहर के नेताओं को टिकट दे दिया था।
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क्षेत्र में ईमानदार छवि और विकास पुरुष के नाम से मशहूर अखिलेश प्रताप सिंह को देवरिया लोकसभा सीट से गठबंधन का प्रत्याशी बनने पर जनता खुशी मना रही है और कह रही है कि इस बार किसी बाहरी को नहीं इस बार घर के सदस्य को वोट देंगे, लोगों में अखिलेश प्रताप सिंह की छवि ईमानदार होने के नाते समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और अन्य गठबंधन पार्टी के कार्यकर्ता भी सहयोग करने का मन बना लिए हैं।अब देखना ये है कि ईमानदार और विकास पुरुष नाम से क्षेत्र में विख्यात अखिलेश प्रताप सिंह देवरिया के लोगों का दिल कैसे जीतते हैं।