कोई भी ब्रह्मज्ञान लेकर परमात्मा को देख सकता है – nirankari

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/देवरिया। जिले के ब्रांच देवरिया मुंडेराबुजुर्ग स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन पर रविवार को विशाल सत्संग का आयोजन हुआ,जिसमें सैंकड़ों की संख्या में मानवता प्रेमी संत महापुरुषों ने हिस्सा लिया। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने ज्ञान देकर 84 लाख जोनियो से मुक्त कर दिया। सतगुरु सभी को एक साथ विठाता है , सभी तरह के जाति पाती के भेद भाव मिटाता है सतगुरु हमारे साथ हर जगह है। कही दूर जाने की आवश्यकता नही है कि बल्कि जानने वाले को ढूढने की जरूरत है। ज्ञान रूपी धागा होने पर ही हम एक साथ बैठ सकते हैं।

उपरोक्त बातें समागम में मिशन के केंद्रीय ज्ञान प्रचारक उत्तराखंड देहरादून से पधारे महात्मा ज्ञानेश्वर गुरुंग जी ने रविवार को संत निरंकारी सत्संग भवन मुंडेरा बुजुर्ग शाखा देवरिया में निरंकारी संत समागम में कहा कि भगवान को जाने बीना संसार मे मुक्ति संभव नहीं है। संसार के भक्त भगवान को देखे। भगवान सभी वस्तुओं के अंदर हैं। भगवान निराकार है जिसका कोई रूप नही कोई आकार नहीं है।

 जउ सुख कउ चाहै सदा सरनि राम की लेह

अगर सदा सुख चाहता है तो दुनिया क्या सदा रहती है?

दोस्त मित्र क्या सदा रहते है?

मकान क्या सदा रहते है तो ये तमाम नजारे क्या सदा रहते है-

जो दीसै सो सगल बिनासै

उन्होंने कहा कि कहा है कि जिन आंखों से नजारे ले रहे है ये भी नही रहेगी और जिसको देखा जा रहा है वो सुन्दरताएं भी नही रहेंगीं इसलिये कहॉ गया है कि

शरण राम की ले क्योकि राम ही सदा रहने वाले है।

अब प्रश्न उठता है कि राम कहा है ? श्री कृष्ण जी कहां है ? क्या इन आँखों से देखा जा सकता है ?

तो इसका उत्तर भी हमारे धार्मिक ग्रन्थ ही देते हैं जिनको हम पढ़ते तो हैं मगर मानते नही।श्रीमदभगवत गीता में श्री कृष्ण जी अर्जुन से बता रहे हैं कि हे अर्जुन जो मुझको इन आँखों से देखता है ,वह मेरा ही हो जाता है !लोग अपने पूर्वजों को तारने के लिए अनेक यज्ञ करते हैं। मगर श्री रामचरितमानस में लिखा भी गया है कि जब केवट प्रभु श्री राम जी के पैरों को कठौते में धोकर पहले पिया तो प्रभु जी ने पहले उसके पूर्वजो को तार दिए ।राम चरित मानस में लिखा भी गया है कि गुरु गृह पढ़न गए रघुराई , अल्प काल सब विद्या पाई।

जब प्रभु खुद गुरु के घर मे विद्या(ज्ञान) ग्रहण करने गए तो हम सब गुरु के शरण मे जाने से संकोच क्यो करते हैं ।प्रभु श्री राम जी भी पूजा करते थे वे भी देवी देवताओं का आशीर्वाद लेते थे ।

प्रातः काल उठि के रघुनाथा, मातु पिता गुरु नवाइहि माथा हमारे जीवन मे अगर इन गुरुओं रूपी देवताओं की पूजा अर्चना नही किये तो चाहे कितने भी जप तप पूजा कर ले सब बेकार ही होते हैं । जो भी इंसान सुबह उठ कर अपने माता पिता की चरण वंदना करता होगा उसको जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का दुख नही उठाना पड़ सकता है ।जो अपने माता पिता को दुख देता होगा उसको कभी सुख नही मिल सकता है ।

कुशीनगर में जोनल स्तरीय निरंकारी महिला समागम का आयोजन किया गया – nirankariकुशीनगर में जोनल स्तरीय निरंकारी महिला समागम का आयोजन किया गया – nirankari

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By govind maurya

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