बहुत ही धूमधाम से मनाया गया खुखुन्दू का वार्षिक निरंकारी सन्त समागम

 

खुखुन्दू का 18वां वार्षिक सन्त समागम में हजारों nirankari सन्त महात्मा शामिल हुए

nirankari – खुखुन्दू/देवरिया। देवरिया जिले के खुखुन्दू में थाना खुखुन्दू क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस स्टेशन के बगल में एक विद्यालय में खुखुन्दू का 18 वां वार्षिक सन्त निरंकारी सन्त समागम बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।आज के दिन ही 18 वर्ष पहले सन्त निरंकारी मिशन का देवरिया जिले के खुखुन्दू में सत्संग शुरू हुआ था,तभी से यहां हर वर्ष इस दिन वार्षिक निंरकारी सन्त समागम मनाया जाता है,संन्त निरंकारी मिशन एक ऐसा मिशन है जिसका कार्यक्रम हर रोज कहीं न कहीं सत्संग के रुप में मनाया जाता है ।

इसी रुप में आज जनपद देवरिया के खुखुन्दू ब्राचं का 18 वां निरंकारी संत समागम बड़े ही धुम धाम से मनाया गया जहां बहुत ही दूर दराज के क्षेत्रों से महात्मा सत्संग का आनन्द लेने के लिए आए हुए थे,जैसे की पकड़ी बजार,तरकुलवा,रुद्रपुर,भाटपार रानी तो जिले से गोरखपुर और सटे बिहार के भी महात्मा इस सत्संग समागम में निरंकार प्रभु की गुणगान करते हुए सतगुरु की महिमा गाते हुए खुशियां मनाते दिखे। इस निरंकारी सन्त समागम की अध्यक्षता संत निरंकारी मिशन के ज्ञान प्रचारक महात्मा दीनदयाल जी गोरखपुर ने किया।

ज्ञान प्रचारक महात्मा दीनदयाल जी ने अपने विचार में कहा की इस निरंकार को परमात्मा को जो जान लेगा उसकि नईया भव से पार हो जाएगी,इस परमात्मा को जानने के लिए सबसे पहले हमें ज्ञान की जरुरत है जो आज हमारे समय के सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हमें दे रही है।उन्होंने बताया कि मानव जन्म ही एक ऐसा जन्म है जिसमे इन्सान को हर चीज की समझ होती है,और केवल इसी जन्म में वो परमात्मा को प्राप्त कर सकता है,उसकी इबादत कर सकता है।

सारा संसार इस निरंकार परमात्मा के ही अन्दर समाया हुआ है,सब इस निरंकार परमात्मा में ही जन्म ले रहें हैं और शरीर का त्याग भी इसी परमात्मा में कर देते हैं,पर जब इस दातार को जानने समझने और देखने की बारी आती है तो संसार के माया में खो जाते है, सन्त निरंकारी मिशन के सत्गुरु कई वर्षों से इस निरंकार को दिखा रहें हैं,की आवो दुनिया के लोगों जिनको परमात्मा को देखना है जानना है और इसी परमात्मा में एक हो जाना है तो इस दातार को देख लो।

सन्त निरंकारी मिशन के देवरिया जिले के संयोजक महात्मा बद्री विशाल सिंह जी ने कहा कि
“नदिया एक घाट बहु तेरे”।

जिस प्रकार नदी तो एक ही रहती है एक परिस्थिति के अनुसार जगह जगह पर कई नाम घाट बना कर उसको कई नाम से पुकारा जाता है,पर उसका मूल तो एक ही है,उसका असली नाम तो एक ही है।

इसी तरह परमात्मा भी एक ही है बस उसे अलग अलग लोग अलग अलग नमो से पुकारते हैं,पर जब इस रहबर इस निराकर का ज्ञान मिल जाता है तो अब भ्रम दूर हो जाते हैं तब अब की भाव स्थिति महात्मा की हो जाती है,तब वो सब में इसी निरंकार को देखता है और सबके भले की कामना करने लगता है।

इस निरंकारी समागम के दौरान निरंकारी बाल प्रदर्शनी का भी आयोजन बहुत ही खुबसूरती के साथ किया गया था,जिसमें गुरुमत के राह पर चलना ,सुकून ,भक्ति,विश्वास,सेवा ,सत्संग,सुमिरन और इन सभी को पाने के लिये हमें इस निरंकार का ब्रम्ह ज्ञान लेना जरुरी होता है ये प्रस्तुत किया गया। तो वही सेवादल के महात्माओं ने विडियो प्रोजेक्टर के माध्यम से सड़क पर हेलमेट लगाकर गाड़ी चलाने ,चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट लगाने और सड़क पर चलते समय अपने से पहले एम्बुलेंस को रास्ता देने कि जानकारी भी लोगों को दि गयी।

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इस कार्यक्रम के दौरान जिले के संयोजक महात्मा बद्री विशाल सिंह जी ,ज्ञान प्रचारक सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी जी ,तरकुलवा के मुखी महात्मा श्याम जी,उदयभान शाही जी,देवरिया के सेवादल के संचालक उमेश सिंह जी,शिक्षक हेमन्त कुशवाहा जी ,पकड़ी बजार के संचालक राजकुमार जी,रुद्रपुर के सेवादल इंचार्ज धन्नजय जी, शासन द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार गोविन्द मौर्य, राम अशीष जी ,कौसीक साही जी,बहन माया जी ,कमलावती जी ,गुड़ीया जी ,राजरानी जी,शुभम ,घनश्याम जी आदि हजारों की संख्या में श्रद्धालु महात्मा उपस्थित रहे और सत्संग का आनन्द लिए।

 

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By govind maurya

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